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वीडियो जानकारी: 16.04.24, गीता समागम, ग्रेटर नॉएडा
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी और एक श्रोता के बीच चर्चा होती है, जिसमें भारतीय समाज में बेरोजगारी, शिक्षा प्रणाली, और श्रम के प्रति दृष्टिकोण पर विचार किया गया है। आचार्य जी ने बताया कि भारत में सरकारी नौकरी की चाहत एक "झुनझुना" बन गई है, जिससे युवा वर्ग अपनी मेहनत और कौशल को नजरअंदाज कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि कम पढ़ेलिखे लोग जल्दी काम करना शुरू कर देते हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है, जबकि उच्च शिक्षा प्राप्त लोग सरकारी नौकरी की तैयारी में समय बर्बाद कर रहे हैं।
आचार्य जी ने यह भी बताया कि भारतीय समाज में श्रम को सम्मान नहीं दिया जाता, और लोग उन लोगों को अधिक इज्जत देते हैं जो बिना मेहनत के उच्च पदों पर पहुंच जाते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर लोग श्रम और संघर्ष को महत्व देना शुरू करें, तो बेरोजगारी की समस्या कम हो सकती है।
आखिर में, एक श्रोता ने अपने अनुभव साझा किए, जिसमें उन्होंने आचार्य जी की शिक्षाओं से प्रेरित होकर मांसाहार छोड़ने और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की बात की।
प्रसंग:
~ ज़िन्दगी में करने लायक काम क्या है?
~ बच्चों का भविष्य कैसे बनाएँ?
~ भारत में बेरोजगारी इतनी बढ़ क्यों रही है?
~ भारतीय विश्वविद्यालय विश्व में इतने पीछे क्यों हैं?
~ डिग्री प्राप्त बेरोजगारों की संख्या बढ़ती क्यों जा रही है।
~ भारत और पश्चिमी देशों में एक मूलभूत अंतर क्या हैं?
~ शिक्षा के क्षेत्र में भारत इतना पीछे क्यों?
संगीत: मिलिंद दाते
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